[av_image src=’https://mantrapuja.com/blog/wp-content/uploads/2024/01/Ram-Lalla-Pran-Pratishtha-Anushthan-Day-3-1-696×464-1.jpg’ attachment=’717′ attachment_size=’full’ copyright=” caption=” image_size=” styling=” box_shadow=’none’ box_shadow_width=’10’ box_shadow_color=” align=’center’ font_size=” overlay_opacity=’0.4′ overlay_color=’#000000′ overlay_text_color=’#ffffff’ link=” target=” animation=’no-animation’ animation_duration=” animation_custom_bg_color=” animation_z_index_curtain=’100′ parallax_parallax=” parallax_parallax_speed=” av-desktop-parallax_parallax=” av-desktop-parallax_parallax_speed=” av-medium-parallax_parallax=” av-medium-parallax_parallax_speed=” av-small-parallax_parallax=” av-small-parallax_parallax_speed=” av-mini-parallax_parallax=” av-mini-parallax_parallax_speed=” hover=” blur_image=” grayscale_image=” fade_image=” appearance=” css_position=” css_position_location=’,,,’ css_position_z_index=” av-desktop-css_position=” av-desktop-css_position_location=’,,,’ av-desktop-css_position_z_index=” av-medium-css_position=” av-medium-css_position_location=’,,,’ av-medium-css_position_z_index=” av-small-css_position=” av-small-css_position_location=’,,,’ av-small-css_position_z_index=” av-mini-css_position=” av-mini-css_position_location=’,,,’ av-mini-css_position_z_index=” transform_perspective=” transform_rotation=’,,,’ transform_scale=’,,’ transform_skew=’,’ transform_translate=’,,’ av-desktop-transform_perspective=” av-desktop-transform_rotation=’,,,’ av-desktop-transform_scale=’,,’ av-desktop-transform_skew=’,’ av-desktop-transform_translate=’,,’ av-medium-transform_perspective=” av-medium-transform_rotation=’,,,’ av-medium-transform_scale=’,,’ av-medium-transform_skew=’,’ av-medium-transform_translate=’,,’ av-small-transform_perspective=” av-small-transform_rotation=’,,,’ av-small-transform_scale=’,,’ av-small-transform_skew=’,’ av-small-transform_translate=’,,’ av-mini-transform_perspective=” av-mini-transform_rotation=’,,,’ av-mini-transform_scale=’,,’ av-mini-transform_skew=’,’ av-mini-transform_translate=’,,’ mask_overlay=” mask_overlay_shape=’blob’ mask_overlay_size=’contain’ mask_overlay_scale=’100%’ mask_overlay_position=’center center’ mask_overlay_repeat=’no-repeat’ mask_overlay_rotate=” mask_overlay_rad_shape=’circle’ mask_overlay_rad_position=’center center’ mask_overlay_opacity1=’0′ mask_overlay_opacity2=’1′ mask_overlay_opacity3=” title_attr=” alt_attr=” img_scrset=” lazy_loading=’disabled’ id=” custom_class=” template_class=” av_element_hidden_in_editor=’0′ av_uid=’av-lrlwktgs’ sc_version=’1.0′ admin_preview_bg=”][/av_image]
[av_textblock fold_type=” fold_height=” fold_more=’Read more’ fold_less=’Read less’ fold_text_style=” fold_btn_align=” textblock_styling_align=” textblock_styling=” textblock_styling_gap=” textblock_styling_mobile=” size=” av-desktop-font-size=” av-medium-font-size=” av-small-font-size=” av-mini-font-size=” font_color=” color=” fold_overlay_color=” fold_text_color=” fold_btn_color=’theme-color’ fold_btn_bg_color=” fold_btn_font_color=” size-btn-text=” av-desktop-font-size-btn-text=” av-medium-font-size-btn-text=” av-small-font-size-btn-text=” av-mini-font-size-btn-text=” fold_timer=” z_index_fold=” av-desktop-hide=” av-medium-hide=” av-small-hide=” av-mini-hide=” id=” custom_class=” template_class=” av_uid=” sc_version=’1.0′]
अयोध्या के भव्य राम मंदिर में एक नया अध्याय जुड़ गया है, जहां भगवान राम के बालरूप रामलला की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित कर दिया गया है। इस ऐतिहासिक घटना के साथ ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और अन्य अनुष्ठानों की शुरुआत हो गई है। मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा निर्मित यह मूर्ति श्यामल पत्थर से बनी है और इसकी सुंदरता ने सभी का मन मोह लिया है। आइए जानते हैं इस घटना के मुख्य आकर्षण और महत्व के बारे में।
मुख्य बिंदु
- रामलला की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया गया है, जिसकी पहली तस्वीर सामने आई है।
- मूर्ति का निर्माण मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने किया है और यह 51 इंच की श्यामल पत्थर से बनी है।
- रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और अन्य अनुष्ठान 22 जनवरी तक चलेंगे।
- मूर्ति की सुंदरता और विशिष्टता भक्तों को आकर्षित कर रही है, जिसमें भगवान को कमल पर खड़े बच्चे के रूप में चित्रित किया गया है।
- प्राण प्रतिष्ठा समारोह का दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण होगा, जिससे देशभर के भक्त इस दिव्य अनुष्ठान में शामिल हो सकेंगे।
अयोध्या के राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हुए रामलला
रामलला का इतिहास
अयोध्या के राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होने वाले रामलला की प्रतिमा का इतिहास उतना ही प्राचीन है जितना कि अयोध्या का अपना इतिहास। इस दिव्य प्रतिमा की विशेषताएं और महत्व भक्तों के लिए अत्यंत गौरवपूर्ण हैं।
रामलला की यह मूर्ति श्यामल (काले) पत्थर से निर्मित है और इसकी ऊंचाई 51 इंच है। इसे मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने तैयार किया है, जिन्होंने भगवान राम को कमल पर खड़े पांच साल के बच्चे के रूप में चित्रित किया है। इस अद्भुत कलाकृति का वजन लगभग 150 किलोग्राम है।
रामलला की मूर्ति के विविध अनुष्ठान 22 जनवरी तक चलते रहेंगे, जिसमें प्राण प्रतिष्ठा और जीवनदायी तत्वों से सुवासित करने की प्रक्रिया शामिल है। इस दौरान, भक्तों को मूर्ति के दर्शन लगभग 35 फुट दूर से ही करने होंगे।
यह जानकारी भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है कि रामलला की प्रतिमा का दर्शन करते समय उन्हें निर्धारित दूरी से ही दर्शन करने होंगे।
इस अवसर पर, राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भी अपनी एक पोस्ट में बताया कि अयोध्या में जन्म भूमि स्थित राम मन्दिर में आज दिन में साढ़े 12 बजे के बाद राममूर्ति का प्रवेश हुआ। दोपहर एक बजकर 20 मिनट पर यजमान द्वारा प्रधानसंकल्प होने पर वेदमन्त्रों की ध्वनि से वातावरण मंगलमय हुआ।
रामलला के जन्मस्थल का महत्व
अयोध्या की पावन धरती पर स्थित रामलला के जन्मस्थल का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अतुलनीय है। यह स्थान न केवल भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति की पहचान भी है।
रामलला की प्रतिमा का गर्भगृह में विराजमान होना एक ऐतिहासिक क्षण है, जिसका प्रत्येक हिन्दू ने सदियों से इंतजार किया है। इस दिव्य प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही इस पवित्र स्थल की महिमा और भी बढ़ जाएगी।
प्राण प्रतिष्ठा के दिन, देशभर के मंदिरों में और दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण के माध्यम से लाखों भक्त इस अनुष्ठान के साक्षी बनेंगे। इस अवसर पर निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं का ध्यान रखा जाएगा:
- भगवान राम की मूर्ति की ऊंचाई और वजन
- प्राण प्रतिष्ठा की तिथि और समय
- दर्शन के लिए उपलब्धता
यह सुनिश्चित करें कि आप इस पावन अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं और रामलला के दर्शन का आनंद उठाएं।
इस ऐतिहासिक घटना के साथ, अयोध्या एक बार फिर से विश्वपटल पर अपनी अद्वितीय पहचान स्थापित कर रही है। रामलला के जन्मस्थल पर उनकी प्रतिमा का विराजमान होना न केवल भारतीयों के लिए, बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है।
रामलला के गर्भगृह का निर्माण
अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम के बालरूप, रामलला की मूर्ति का स्थापना का कार्य पूर्णता की ओर अग्रसर है। मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी निर्धारित है, जिससे पूर्व विभिन्न अनुष्ठान और पूजा-पाठ की प्रक्रियाएं संपन्न की जा रही हैं।
मूर्ति की स्थापना के लिए चयनित दिन पर, वेद मंत्रों की ध्वनि के बीच, मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा निर्मित श्यामल पत्थर की 51 इंच की मूर्ति को गर्भगृह में विराजमान किया गया। इस अवसर पर कई संत और भक्तगण उपस्थित थे।
ध्यान देने योग्य है कि मूर्ति को जीवनदायी तत्वों से सुवासित करने की प्रक्रिया 21 जनवरी तक चलेगी, जिसका आरंभ गुरुवार से हो चुका है।
इस ऐतिहासिक क्षण का विवरण निम्नलिखित तालिका में प्रस्तुत है:
तिथि | अनुष्ठान | समय |
---|---|---|
19 जनवरी | अग्नि प्रकट करने की विधि | प्रातः 9 बजे |
21 जनवरी | मूर्ति सुवासित करना | पूरे दिन |
22 जनवरी | प्राण प्रतिष्ठा | अनुष्ठान के अनुसार |
इस दिव्य और पावन अवसर पर, भक्तों की आस्था और भावनाएं चरम पर हैं, और वे इस घड़ी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
रामलला के गर्भगृह की संरचना
अयोध्या के राम मंदिर के गर्भगृह की संरचना अत्यंत भव्य और दिव्य है। इस गर्भगृह में भगवान राम के बालरूप रामलला की मूर्ति स्थापित की गई है, जिसका वजन लगभग 150 किलोग्राम है। मूर्ति को मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा निर्मित किया गया है, जिसमें भगवान को कमल पर खड़े पांच साल के बच्चे के रूप में चित्रित किया गया है।
गर्भगृह की संरचना में निम्नलिखित विशेषताएं शामिल हैं:
- श्यामल (काले) पत्थर से बनी 51 इंच की खड़ी मूर्ति
- मूर्ति का आसन सीधे गर्भगृह में निर्मित
- प्रतिमा को जीवनदायी तत्वों से सुवासित करने की प्रक्रिया
प्राण प्रतिष्ठा के बाद, भक्तों को इस पावन विग्रह के दर्शन का अवसर प्राप्त होगा।
इस गर्भगृह की संरचना न केवल भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय वास्तुकला की श्रेष्ठता का भी प्रतीक है। इसकी भव्यता और दिव्यता अनुपम है, जो आगंतुकों को एक अलौकिक अनुभव प्रदान करती है।
रामलला के गर्भगृह की सुंदरता
अयोध्या के राम मंदिर का गर्भगृह, जहां रामलला विराजमान हैं, अपनी भव्यता और सौंदर्य के लिए जाना जाता है। श्यामल पत्थर से निर्मित इस गर्भगृह में रामलला की 51 इंच की मूर्ति एक विशेष आकर्षण का केंद्र है। मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा निर्मित यह मूर्ति, भगवान राम को कमल पर खड़े एक पांच वर्षीय बालक के रूप में दर्शाती है, जिसका वजन लगभग 150 किलोग्राम है।
गर्भगृह की संरचना और सजावट में पारंपरिक और आधुनिक शिल्पकला का समन्वय दिखाई देता है। वेदमंत्रों की ध्वनि और अनुष्ठानों की श्रृंखला ने इस स्थान को और भी पवित्र बना दिया है।
रामलला की मूर्ति के दर्शन से पहले, श्रद्धालुओं को उचित शुद्धि और भक्ति भाव से आने की सलाह दी जाती है।
गर्भगृह की सुंदरता को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
- भव्य श्यामल पत्थर की मूर्ति
- पारंपरिक शिल्पकला के साथ आधुनिक डिजाइन का मिश्रण
- अनुष्ठानों और पूजा विधियों का विशेष महत्व
- श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव
इस प्रकार, गर्भगृह की सुंदरता न केवल दृश्य आकर्षण है, बल्कि यह एक गहरे आध्यात्मिक अर्थ को भी समेटे हुए है।
रामलला के गर्भगृह की पूजा विधि
वर्तमान स्थिति में, राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति स्थापित है। इस मूर्ति का वजन 150 से 200 किलोग्राम है और यह खड़े मुद्रा में है। गर्भगृह में रामलला की मूर्ति के विविध अनुष्ठान 22 जनवरी तक चलेंगे। इसके पश्चात, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी और प्रतिमा को जीवनदायी तत्वों से सुवासित किया जाएगा। इस अवसर पर, गर्भगृह में रामलला की मूर्ति के दर्शन किए जा सकेंगे।
रामलला के गर्भगृह की महिमा
अयोध्या के पावन धरा पर नवनिर्मित राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो चुके रामलला की मूर्ति ने इस स्थान की महिमा को और भी बढ़ा दिया है। श्रीराम लला की यह प्रतिमा न केवल भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की एक अमिट छाप भी प्रस्तुत करती है।
मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आयोजित अनुष्ठानों का विवरण निम्नलिखित है:
- 19 जनवरी: अरणि मंथन और अग्नि प्रकट
- 21 जनवरी: जीवनदायी तत्वों से मूर्ति का सुवासित होना
- 22 जनवरी: प्राण प्रतिष्ठा समारोह
इस प्रतिमा की स्थापना के साथ ही अयोध्या की पवित्रता में वृद्धि हुई है। भक्तों का उत्साह और श्रद्धा देखते ही बनती है। गर्भगृह की दिव्यता और भी अधिक निखर कर आई है, और इसकी छटा देखने योग्य है।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के पावन विग्रह के दर्शन किए जा सकेंगे, जिससे भक्तों की आध्यात्मिक यात्रा और भी अधिक सार्थक होगी।
रामलला के गर्भगृह का दर्शन
अयोध्या के राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान रामलला की प्रतिमा के दर्शन का क्षण अत्यंत पावन और भक्तिमय होता है। प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात्, भक्तों को इस दिव्य विग्रह के दर्शन का अवसर प्राप्त होगा। गर्भगृह में स्थापित इस विग्रह की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- रामलला की मूर्ति 51 इंच की खड़ी मुद्रा में है।
- मूर्ति का वजन लगभग 150 से 200 किलोग्राम के बीच है।
- श्याम रंग की इस मूर्ति को मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने तैयार किया है।
दर्शन की प्रक्रिया वेद मंत्रों की ध्वनि और मंत्रोच्चार के साथ संपन्न होती है, जिससे वातावरण मंगलमय हो जाता है। भक्तों के लिए यह अनुभव न केवल आध्यात्मिक संतोष प्रदान करता है, बल्कि उन्हें भगवान राम के निकटता का अहसास भी कराता है।
यह सलाह दी जाती है कि दर्शन के लिए आने वाले भक्त शांति और श्रद्धा के साथ आएँ, ताकि वे इस पवित्र अनुभव को पूर्णता से अनुभव कर सकें।
दर्शन के समय, भक्तों को विशेष अनुष्ठानों और पूजा विधियों का भी साक्षी बनने का अवसर मिलता है, जो इस धार्मिक यात्रा को और भी अधिक सार्थक बनाते हैं।
निष्कर्ष: रामलला का गर्भगृह में प्रतिष्ठापन
अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला के विग्रह का गर्भगृह में प्रतिष्ठापन एक ऐतिहासिक क्षण है। इस घटना ने न केवल भक्तों की आस्था को नई ऊर्जा प्रदान की है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और धार्मिक एकता के प्रतीक के रूप में भी उभरा है। रामलला की प्रतिमा की स्थापना के साथ ही अयोध्या ने एक नए युग का आरंभ किया है, जिसका साक्षी बनना हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत देशभर के भक्त इस पावन मूर्ति के दर्शन कर सकेंगे, जिससे अयोध्या की पावनता और भी बढ़ जाएगी।
प्रश्नोत्तरी
राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्रतिमा किस दिनांक को विराजमान की गई?
राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्रतिमा 22 जनवरी को विराजमान की गई थी।
रामलला की प्रतिमा का निर्माण किसने किया है?
रामलला की प्रतिमा का निर्माण मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने किया है।
रामलला की प्रतिमा किस पत्थर से बनी है और इसकी ऊंचाई कितनी है?
रामलला की प्रतिमा ‘श्यामल’ (काले) पत्थर से बनी है और इसकी ऊंचाई 51 इंच है।
रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कब होगी?
रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह का सीधा प्रसारण कहाँ होगा?
प्राण प्रतिष्ठा समारोह का सीधा प्रसारण दूरदर्शन पर होगा।
रामलला की मूर्ति की सुंदरता के विषय में कुछ बताएं?
रामलला की मूर्ति को कमल पर खड़े पांच साल के बच्चे के रूप में चित्रित किया गया है, इसकी सुंदरता ने सभी को आकर्षित किया है।
[/av_textblock]
Leave A Comment