अयोध्या में विराजमान राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का महत्त्व भारतीय संस्कृति और धर्म में गहराई से जुड़ा हुआ है। यह समारोह न केवल धार्मिक महत्त्व रखता है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक विविधता और अयोध्या के पर्यटन क्षेत्र के विकास के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। इस लेख में हम राम मंदिर के इतिहास, महत्त्व, विवाद और प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों के विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे।
प्रमुख बिंदु
- प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मूर्ति में देवता की आत्मा और भावना के अनुष्ठानिक ट्रांसफर को चिह्नित किया जाता है।
- राम मंदिर का निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करते हैं।
- राम मंदिर का निर्माण अयोध्या के पर्यटन क्षेत्र के विकास और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देता है।
- राम मंदिर विवाद ने भारतीय समाज और राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला।
- प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियाँ और सुरक्षा व्यवस्था राम मंदिर के निर्माण के महत्वपूर्ण हिस्से हैं।
भूमिका
राम मंदिर का इतिहास
राम मंदिर का इतिहास उसके निर्माण की शुरुआत से लेकर विवादों और अंततः उसके पुनर्निर्माण तक कई युगों को छूने वाला है। इसकी शुरुआत रामायण काल से होती है, जब राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। 16वीं शताब्दी में, बाबर ने उत्तर भारत में मंदिरों पर आक्रमण की अपनी श्रृंखला में मंदिर पर हमला किया और उसे नष्ट कर दिया। बाद में, मुगलों ने राम का किला माना जाता है, और बेदी, जहां राम का जन्मस्थान है, उसे नष्ट करके किया गया था।
धार्मिक हिंसा की पहली घटना 1853 में दर्ज की गई थी। दिसंबर 1858 में, ब्रिटिश प्रशासन ने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा (अनुष्ठान) आयोजित करने से प्रतिबंधित कर दिया। मस्जिद के बाहर अनुष्ठान आयोजित करने के लिए एक मंच बनाया गया था।
आधुनिक युग में, 22-23 दिसंबर 1949 की रात को बाबरी मस्जिद के अंदर राम और सीता की मुर्तियाँ स्थापित की गईं और अगले दिन से भक्त इकट्ठा होने लगे। 1950 तक, राज्य ने सीआरपीसी की धारा 145 के तहत मस्जिद पर नियंत्रण कर लिया और मुसलमानों को नहीं, बल्कि हिंदुओं को उस स्थान पर पूजा करने की अनुमति दी।
2019 में अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही यह तय हो गया था कि विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए भारत सरकार द्वारा गठित ट्रस्ट को सौंपी जाएगी। ट्रस्ट का गठन अंततः श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के नाम से किया गया। 5 फरवरी 2020 को, भारत की संसद में यह घोषणा की गई कि भारत सरकार ने मंदिर निर्माण की योजना स्वीकार कर ली है। दो दिन बाद, 7 फरवरी को, 22 नई मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित की गई अयोध्या।
अयोध्या और रामायण का संबंध
अयोध्या और रामायण का संबंध अत्यंत गहरा है। अयोध्या को भगवान राम की जन्मभूमि माना जाता है और यहीं से उनकी अद्भुत यात्रा शुरू हुई थी। इस शहर का इतिहास और संस्कृति भगवान राम के जीवन और उनके आदर्शों से गहरी तरह से जुड़ी हुई है।
अयोध्या और रामायण के बीच संबंध को समझने के लिए, हमें रामायण के कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रमों को देखना होगा:
- भगवान राम का जन्म: अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ था। यह घटना अयोध्या के लिए एक महत्वपूर्ण लैंडमार्क है।
- राम वनवास: भगवान राम ने अपने पिता के आदेशानुसार 14 वर्ष का वनवास ग्रहण किया। इस घटना ने अयोध्या के नागरिकों में नैतिक मूल्यों और कर्तव्यनिष्ठा की भावना को बढ़ावा दिया।
- राम-रावण युद्ध: राम और रावण के बीच युद्ध ने धर्म और अधर्म के बीच संघर्ष का प्रतीक बनाया।
टिप: अयोध्या और रामायण के बीच संबंध को समझने के लिए, हमें रामायण को ध्यान से पढ़ना चाहिए।
राम मंदिर का निर्माण
राम मंदिर का निर्माण एक ऐतिहासिक क्षण है, जिसने भारत के इतिहास में एक नया अध्याय खोला है। 2019 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित भूमि पर फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि यह भूमि हिंदुओं की है, जो इस पर राम मंदिर का निर्माण कर सकते हैं। मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए ज़मीन का एक अलग टुकड़ा दिया जाएगा।
भूमिपूजन 5 अगस्त 2020 को किया गया था। वर्तमान में निर्माणाधीन मंदिर की देखरेख श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा की जा रही है। मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को निर्धारित है।
महत्त्वपूर्ण बात: राम मंदिर के निर्माण के दौरान, सभी नियमों और विनियमों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है।
राम मंदिर के निर्माण के बारे में कुछ मुख्य बिंदुओं की सूची निम्नलिखित है:
- भूमिपूजन की तारीख: 5 अगस्त 2020
- देखरेख करने वाला: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट
- मंदिर का उद्घाटन: 22 जनवरी 2024
इस प्रक्रिया के दौरान, सभी संबंधित पक्षों को समान रूप से सम्मानित किया जाना चाहिए।
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा
2024 में नवनिर्मित भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कर दी जाएगी। इसके लिए पूरी कार्य योजना तैयार की जा चुकी है। यह प्राण प्रतिष्ठा भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा विद्वान पंडितों की मौजूदगी में की जाएगी। प्राण प्रतिष्ठा के लिए बनाए जा रहे हैं मंडप और हवन कुंड।
प्राण प्रतिष्ठा के लिए 2 मंडपों और 9 हवन कुंडों का निर्माण किया गया है। जिनके माध्यम से प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। सनातन परंपरा में किसी मंदिर में देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा का बड़ा महत्व है। प्राण प्रतिष्ठा के द्वारा देवताओं की मूर्तियों को जीवंत किया जाता है।
टिप: प्राण प्रतिष्ठा के लिए सही तिथि और सही मुहूर्त का होना बेहद अनिवार्य है।
इस समारोह में शामिल होने के लिए सभी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए कहा जा रहा है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा इस समारोह को दिवाली जैसा मनाने की योजना है।
राम मंदिर का महत्त्व
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का महत्त्व अब केवल धार्मिक और सांस्कृतिक ही नहीं रह गया है, बल्कि यह देश के व्यापारिक जगत के लिए भी एक बड़ा अवसर बन चुका है। इसके साथ ही देश की समृद्धि का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।
CAIT (कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स) के अनुसार, प्राण प्रतिष्ठा समारोह के कारण देश में करीब 1 लाख करोड़ रुपए का व्यापार होने की संभावना है। यह आयोजन न केवल धार्मिक भावनाओं को प्रतिध्वनित कर रहा है, बल्कि आर्थिक गतिविधियों में भी उछाल ला रहा है।
- नए व्यवसायों का निर्माण
- देश की पारंपरिक आर्थिक व्यवस्था पर आधारित व्यापार
- विभिन्न राज्यों के 30 शहरों में स्थित व्यापार संगठनों से मिले आंकड़े
इसके अलावा, गर्भगृह का आध्यात्मिक महत्व और इससे जुड़े नियमों को भी समझना महत्वपूर्ण है। गर्भगृह वह स्थान है जहां मंदिर के प्रमुख देवी-देवता विराजमान होते हैं और यहीं पर भक्त दर्शन करते हैं।
राष्ट्रीय एकता के प्रतीक
राम मंदिर का निर्माण न केवल भारतीय संस्कृति और धर्म की विरासत को मनाने का एक माध्यम है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है। इसका निर्माण विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश में हो रहा है, जिसमें सभी भारतीयों की भागीदारी है। यह एक ऐसा मंच है जहां सभी भारतीय अपनी भिन्नताओं को छोड़कर एकता की भावना को साझा करते हैं।
राम मंदिर का निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के लिए किए गए प्रयासों में से कुछ निम्नलिखित हैं:
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सरयू की एक धारा की पहचान की थी जो मंदिर के नीचे बहती है।
- राजस्थान से आए 600 हजार क्यूबिक फीट बलुआ पत्थर बंसी पर्वत पत्थरों से निर्माण कार्य पूरा किया जाएगा।
- भूमिपूजन समारोहमंदिर निर्माण आधिकारिक तौर पर 5 अगस्त को आधारशिला के समारोह के बाद फिर से शुरू हुआ।
सलाह: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का महत्त्व समझने के लिए, हमें इसके पीछे की भावनाओं और इतिहास को समझने की आवश्यकता है। यह हमें एकता, सहिष्णुता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
अयोध्या के पर्यटन क्षेत्र का विकास
राम मंदिर के पुनर्निर्माण के साथ ही अयोध्या के पर्यटन क्षेत्र में भी विकास देखने को मिल रहा है। इसका सीधा प्रभाव शहर की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है। यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है और साथ ही नए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हुए हैं।
अयोध्या के पर्यटन क्षेत्र का विकास
- राम मंदिर के पुनर्निर्माण से पर्यटन में वृद्धि
- नए रोजगार के अवसर
- शहर की आर्थिक स्थिति में सुधार
टिप: अगर आप अयोध्या जा रहे हैं तो राम मंदिर के दर्शन के साथ-साथ शहर के अन्य धार्मिक स्थलों का भी दर्शन करें।
इसके अलावा, राम मंदिर के पुनर्निर्माण के कारण शहर में विभिन्न व्यापारिक गतिविधियां भी बढ़ी हैं। इससे शहर के व्यापारियों को नये अवसर मिले हैं और आर्थिक विकास में भी योगदान दिया है।
अयोध्या में रोजगार के अवसर
राम मंदिर के पुनर्निर्माण के साथ ही अयोध्या में रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। इसका सीधा प्रभाव शहर की आर्थिक स्थिति पर पड़ा है। इसके चलते न केवल धार्मिक भावनाएं बढ़ी हैं, बल्कि आर्थिक गतिविधियों में भी उछाल देखने को मिला है।
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के अनुसार, राम मंदिर के पुनर्निर्माण के कारण देश में करीब 1 लाख करोड़ रुपए का कारोबार होने की संभावना है। यह आंकड़ा विभिन्न राज्यों के 30 शहरों में स्थित व्यापार संगठनों से मिले फीडबैक पर आधारित है।
टिप: राम मंदिर के पुनर्निर्माण से जुड़े व्यापारिक अवसरों का लाभ उठाने के लिए, नए व्यवसायों की स्थापना और मौजूदा व्यवसायों का विस्तार करना महत्वपूर्ण हो सकता है।
इसके अलावा, राम मंदिर के पुनर्निर्माण के कारण अयोध्या में पर्यटन क्षेत्र में भी विस्तार देखने को मिला है। इससे न केवल शहर की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है, बल्कि नए रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं।
राम मंदिर विवाद
अयोध्या विवाद का इतिहास
अयोध्या विवाद का इतिहास विभिन्न शीर्षकों और कानूनी विवादों के साथ लंबा है। विवाद का आरंभ 1993 में हुआ, जब अयोध्या में निश्चित क्षेत्र के अधिग्रहण अधिनियम पारित हुआ। इसके बाद 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह तय हुआ कि विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए भारत सरकार द्वारा गठित ट्रस्ट को सौंपी जाएगी।
ट्रस्ट का गठन अंततः श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के नाम से किया गया। 2020 के फरवरी महीने में, भारत सरकार ने घोषणा की कि वे मंदिर निर्माण की योजना स्वीकार कर चुके हैं। इसके दो दिन बाद, अयोध्या में 22 नई मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन का आवंटन किया गया।
यह विवाद न केवल धार्मिक, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में भी महत्वपूर्ण रहा है।
इस विवाद के नतीजे स्वरूप, अब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, जिससे न केवल धार्मिक भावनाएं बल्कि आर्थिक गतिविधियां भी प्रभावित हो रही हैं।
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद
बाबरी मस्जिद का निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था, जिसे हिंदू धर्म के प्रमुख देवता राम का जन्मस्थान माना जाता है। इसके निर्माण के पश्चात विवाद शुरू हो गए थे और यह विवाद अब तक जारी है।
- 1853 में धार्मिक हिंसा की पहली घटना दर्ज की गई थी।
- 1949 में बाबरी मस्जिद के अंदर राम और सीता की मुर्तियाँ स्थापित की गईं।
- 2019 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित भूमि पर फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि यह भूमि हिंदुओं की है।
टिप: विवाद के बावजूद, धार्मिक आस्था और सहिष्णुता को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
वर्तमान में निर्माणाधीन मंदिर की देखरेख श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा की जा रही है। मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को निर्धारित है।
राम मंदिर विवाद के नतीजे
सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में विवादित भूमि पर फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि यह भूमि हिंदुओं की है, जो इस पर राम मंदिर का निर्माण कर सकते हैं। मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए ज़मीन का एक अलग टुकड़ा दिया जाएगा। अदालत ने साक्ष्य के रूप में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें ध्वस्त की गई बाबरी मस्जिद के नीचे एक गैर-इस्लामिक संरचना की मौजूदगी का सुझाव देने वाले सबूत दिए गए थे।
राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत के लिए भूमिपूजन 5 अगस्त 2020 को किया गया था। वर्तमान में निर्माणाधीन मंदिर की देखरेख श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा की जा रही है। मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को निर्धारित है।
टिप: राम मंदिर के निर्माण का यह चरण भारतीय इतिहास और संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें सभी धर्मों की भावनाओं का सम्मान किया गया है।
राम मंदिर अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियाँ
प्राण प्रतिष्ठा की तिथि और महत्व
वर्तमान परिदृश्य में, राम मंदिर के निर्माण के बाद, ‘प्राण प्रतिष्ठा’ की तिथि और महत्व बहुत महत्वपूर्ण है। इस समारोह में, मंदिर में भगवान राम की मूर्ति को आत्मा के रूप में स्थापित किया जाएगा। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे भगवान राम की ऊर्जा और आत्मा मंदिर में स्थानांतरित हो जाएगी। इस प्रक्रिया में लगभग एक सप्ताह से अधिक का समय लगता है। इस समारोह में वेदों के श्लोकों का उच्चारण और धार्मिक अनुष्ठान होता है। यह समारोह राम मंदिर के निर्माण की अंतिम और महत्वपूर्ण चरण है जो भारतीय संस्कृति और धार्मिकता के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
राम मंदिर की नगरीकरण की योजना
2024 में नवनिर्मित भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसके लिए पूरी कार्य योजना तैयार की जा चुकी है। प्राण प्रतिष्ठा के लिए 2 मंडपों और 9 हवन कुंडों का निर्माण किया गया है। जिनके माध्यम से प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
प्राण प्रतिष्ठा के द्वारा देवताओं की मूर्तियों को जीवंत किया जाता है।
इसके अलावा, राम मंदिर के मॉडल की मांग में भी बहुत ही ज्यादा तेजी आई है और उम्मीद है कि देश भर में 5 करोड़ से ज्यादा मॉडल बिक जाएंगे। इसके लिए अलग-अलग राज्यों में छोटी-छोटी इकाइयां दिन-रात काम कर रही हैं।
- अगले हफ्ते से राजधानी दिल्ली में ही 200 से ज्यादा बड़े बाजारों और बड़े पैमाने पर छोटे बाजारों में भी श्रीराम के झंडे और अन्य सजावटी चीजें नजर आनी शुरू हो जाएंगी।
- दिल्ली के बाजारों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा।
यह सब तैयारियां राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए की जा रही हैं।
प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों का विवरण
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां अब पूरी तरह से चरम बिंदु पर पहुंच चुकी हैं। इस समारोह में विद्वान आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित, अरुण दीक्षित, सुनील दीक्षित, दत्तात्रेय नारायण रटाटे, गजानन जोतकर, अनुपम दीक्षित उपस्थित होंगे। इन सभी आचार्यों के मार्गदर्शन में पंडित प्राण प्रतिष्ठा समारोह का कार्य सम्पन्न कराएंगे।
टिप्पणी: प्राण प्रतिष्ठा के द्वारा देवताओं की मूर्तियों को जीवंत किया जाता है।
इसके अलावा, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामललला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम जारी कर दिया है। ट्रस्ट की तरफ से कहा गया है कि प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 16 से लेकर 22 जनवरी तक चलेगा।
इसके बाद, 2024 में नवनिर्मित भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कर दी जाएगी। इसके लिए पूरी कार्य योजना तैयार की जा चुकी है। यह प्राण प्रतिष्ठा भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा विद्वान पंडितों की मौजूदगी में की जाएगी।
प्राण प्रतिष्ठा के लिए 2 मंडपों और 9 हवन कुंडों का निर्माण किया गया है। जिनके माध्यम से प्राण प्रतिष्ठा की जाएगा।
इसके अलावा, देश में सभी वर्गों के लोगों के बीच बहुत ज्यादा उत्साह और उमंग का माहौल बन गया है। इसकी वजह से लोग ऐसे प्रोडक्ट खरीदने के लिए प्रेरित हो रहे हैं, जो कि भगवान राम और अयोध्या में बन रहे श्री राम मंदिर से संबंधित है।
राम मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था
राम मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को बहुत ही गंभीरता से लिया जा रहा है। इसके लिए विशेष तैयारियां की जा रही हैं। इसके लिए विभिन्न संस्थानों ने अपनी सेवाएं प्रदान की हैं। जैसे कि लार्सन एंड टूब्रो ने मन्दिर के डिजाइन और निर्माण की नि:शुल्क देखरेख करने की पेशकश की है। इसके अलावा, केंद्रीय भवन अनुसन्धान संस्थान, राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसन्धान संस्थान और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (जैसे बॉम्बे, गुवाहाटी और मद्रास) मिट्टी परीक्षण, कङ्क्रीट और डिजाइन जैसे क्षेत्रों में सहायता कर रहे हैं।
सुरक्षा व्यवस्था के लिए योजना
- मन्दिर के आस-पास की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए CCTV कैमरे लगाए जाएंगे।
- मन्दिर के आस-पास के क्षेत्र को निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग किया जाएगा।
- विशेष सुरक्षा बलों को मन्दिर के चारों ओर तैनात किया जाएगा।
- आगामी दिनों में मन्दिर के आस-पास की सुरक्षा को और अधिक बढ़ावा दिया जाएगा।
इन सभी उपायों के माध्यम से राम मंदिर की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा रहा है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि यह पवित्र स्थल सुरक्षित रहे और यात्रियों के लिए एक शान्तिपूर्ण और सुरक्षित अनुभव बना रहे।
निष्कर्ष
अयोध्या के राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का महत्व अत्यंत विशेष है, यह न केवल भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्था को प्रतिष्ठित करता है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक क्षण भी है जो देशवासियों को एकजुट करता है। इस अवसर पर, हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर और उसके महत्व को समझने की आवश्यकता है। यह समारोह न केवल भगवान राम की उपासना का एक अवसर है, बल्कि यह हमें एकता, भाईचारा और सहिष्णुता की भावना को बढ़ावा देने का एक मौका भी प्रदान करता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का क्या महत्व है?
प्राण प्रतिष्ठा समारोह मूर्ति में देवता की आत्मा और भावना के अनुष्ठानिक ट्रांसफर को चिह्नित करता है. इसके द्वारा मूर्तियों में भगवान का वास होता है.
प्राण प्रतिष्ठा के लिए क्या नियम और तिथि होती हैं?
प्राण प्रतिष्ठा के लिए सही तिथि और सही मुहूर्त का होना बेहद अनिवार्य है.
रामलला की मूर्ति का क्या महत्व है?
पांच साल के बच्चे को दर्शाती रामलला की मूर्ति गुरुवार को मंदिर के गर्भगृह में विराजमान की गई जिसकी तस्वीरें विश्व हिंदू परिषद के मीडिया प्रभारी ने शेयर कीं.
राम दरबार का क्या महत्व है?
राम दरबार रखने से पारिवारिक क्लेश से मुक्ति मिल जाती है, आपसी प्रेम और संवाद बढ़ता है, घर में क्लेश का वातावरण नष्ट हो जाता है.
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कब होगी?
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी, 2024 को होगी.
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान क्या अनुष्ठान होंगे?
प्राण प्रतिष्ठा के दौरान वैदिक ब्राह्मणों और श्रद्धेय आचार्यों द्वारा पूजा समारोहों का नेतृत्व किया जाएगा.
Leave A Comment