अंगारेश्वर महादेव पूजा

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मंगलवार को भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। यूं तो मंगल का पूजन मंगल दोष से पीडि़त व्यक्तियों द्वारा किया जाता है मगर मंगल का पूजन भाग्योदय का संकेत भी है। दूसरी ओर मंगल देव का पूजन मंगल दोषों के निवारण के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त है। वैसे तो भगवान मंगलनाथ का पूजन, भात पूजन, लाल पुष्प और कुंकु से अभिषेक आदि किया जाता है लेकिन इसके अलावा भी भगवान अंगारेश्वर का पूजन किया जाता है। भगवान अंगारेश्वर को भी भूमि पुत्र मंगल की ही तरह शिवतत्व प्रधान माना गया है। माना गया है कि अंगारेश्वर जी की उत्पत्ति भगवान शिव के पसीने से हुई है। भगवान शिव एक बार तपस्या में लीन थे। इसी दौरान धरती पर एक असुर ने अत्याचार किए। इस असुर का नाश करने के लिए भगवान अंगारेश्वर के रूप में उत्पन्न हुए। यही नहीं अंगारेश्वर के उत्पन्न होते ही सारी धरती त्राहि - त्राहि करने लगी दूसरी ओर यह अंगारेश्वर जी फसलों और अन्य लोगों को खाने लगे। ऐसे में सभी ने भगवान शिव से प्रार्थना की।
तब भगवान ने इन्हें शांत किया। जिसके बाद इनका स्थान प्राचीन मंगलनाथ मंदिर के पीछे के भाग में शिप्रा किनारे प्रतिष्ठापित हुआ। मंगलनाथ जी के ही समान यहां भी भगवान अंगारेश्वर शिवलिंग के रूप में विकसित हुए तो दूसरी ओर इन्हें प्रसन्न करने के लिए भातपूजन, लाल पुष्प से अभिषेक और जलाभिषेक करने का प्रावधान है। ज्योतिषीय मान्यता है कि ओर भगवान की आराधना करने से जन्मकुंडली में व्याप्त मांगलिक दोषों का भी निवारण होता है।
मंगल की भात पूजा ग्रह पूजा में हर ग्रह की पूजन सामग्री भिन्न होती है। जिसमें मंगल की भात पूजा प्रसिद्ध है। मंगल को भात क्यों चढ़ाया जाता है। यह भोग है या श्रृंगार। दरअसल मंगल लाल ग्रह है, अग्नि का कारक है, इसका एक नाम अंगारक भी है। यह तेज अग्नि से परिपूर्ण है। इसीलिए मंगल से प्रभावित कुण्डली के लोगों के स्वभाव में गुस्सा और चिड़चिड़ापन भी शामिल होता है।
मंगल को आक्रामकता, साहस और आत्मविश्वास के लिए मुख्य ग्रह माना जाता है और यह मुद्रा, संपत्ति, वैवाहिक जीवन, दुर्घटना, सर्जरी, संबंध, ऋण, बाल और हृदय से संबंधित समस्याओं से संबंधित मामलों पर मजबूत प्रभाव देता है
मंगल को भात इसीलिए चढ़ाए जाते हैं, क्योंकि भात यानी चावल की प्रकृति ठंडी होती है। इससे मंगल को शांति मिलती है और वह भात पूजन करने वाले पर कृपा करते हैं। ठंडक मिलने से मंगल के दुष्प्रभाव स्वतः कम होते हैं।
मंगल से प्रभावित कुण्डली वाले जातकों को भी अपने खाने में चावल को शामिल करना चाहिए जिससे उनके स्वभाव में भी थोड़ी शांति और ठंडक आती है। क्रोध कम होता है।

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